रविवार, जनवरी 29, 2012

एक हिन्दी कविता

*कविता जरूर लिखना*


उस ने


जाते जाते कहा था


मेरे लिए जरूर लिखना


एक कविता


जिस में हो प्रीत


गीत हरियाली के ।






सपने मत लिखना


जो न हो सकें पूरे


मेरे वाली कविता में


खुशहाली लिख देना


बिल्कुल सच वाली


जो दिखे दूर से


सभी के चेहरों पर


सूरज सी चमकती !






मेरे घर के सामने


लिख देना चौराहा


जिस पर कभी न लगें


धरना-पोस्टर


खड़ा कर ही देना


चाहे उस पर


बिना जेब वाला


टैफ्रिक का सिपाही !






संसद लिखो तो


लिखना बोलने वाली


बोल कर तोलने वाली


जिस में दिख जाए


मेरा पूरा गांव


उस तक जाती


सड़क जरूर लिखना !






मल्टीनेशनल कम्पनियां


पिज्जा-बर्गर-स्लाइस


चाहे कुछ भी लिख देना


मगर मेरे नत्थू के


तन भर कपड़ा


एक छत


दो जून रोटी


जरूर लिख देना


उसकी हारी-बीमारी टले


इसके लिए


दवा और दवाखान भी


लिख ही देना


उस मजदूरिन
जापायत गोमती के लिए


तीन महीने का


प्रसूती अवकाश भी


जरूर जरूर लिख देना !






फोज बैरकों में


बच्चे स्कूल में


युवा खेल में


अफसर ऑफिसों में


सत्य-ईमान मस्तिष्कों मेँ


नेताओं में देश प्रेम


इस बार जरूर लिखना !






अम्मां के लिए


आंख न सही


एक ऐनक जरूर लिखना


बेटों का प्यार भी


लिख ही देना


खींच खांच कर इस बार !






मैं लौटूं तब तक


फसल भी उगाते रहना


फलदार प्रीत की


जिसके बिरवे फैल जाएं


समूची धरा पर


मेरे घर के आगे से !

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