'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
रविवार, अप्रैल 01, 2012
खाली हाथ
॥ ♥ ॥ खाली हाथ ॥ ♥॥
जब भी मिले
उन्होंने कहा
तसल्ली नहीं हुई
कुछ देर और बैठते
बात करते
मगर वक्त नहीं है ।
आज आते हैं
बैठते भी हैं
तसल्ली से
मगर बातें नहीं हैं !
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