रविवार, मई 20, 2012

एक हिन्दी कविता

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    महासमागम
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    दबा बीज
    उगा बिरवा
    पौधा बिगसा
    हुआ पल्लवित
    पसारी डालियां
    डाली पर
    खिला पुष्प
    महका
    भंवरा बहका !

    महक चुराने
    भटका डाली-डाली
    स्वागत में पुष्प
    लहराए-मुस्काए
    मधुरस दिया परोस
    भंवरे मचले
    खो गए अपने होस !

    प्रकृति प्रफुल्लित
    सजी-संवरी
    दिन-दिन पसरी
    बांटती आभार
    भंवरों संग पुष्पों का
    इस महासमागम से
    पूर्ण हुई मैं आज !
    · · · Thursday at 5:24pm via mobile ·

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