शुक्रवार, जून 15, 2012

मेरे शब्द

* मेरे शब्द *
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मेरे बाद भी
हो नहीं जाएंगे
अनाथ मेरे शब्द
कर ही लेगा
कोई न कोई
उनका वरण
किसी अन्य के
वरण से
या कि पासंग से
अपना अर्थ
अपना वजूद
खो तो नहीं देंगे
मेरे शब्द ?

अरे !
मैं तो रुखसत पर
हो चला नास्तिक
मुझ से मिलेंगे ब्रह्मा
अगर वे ही
साक्षात हुए शब्द
तो फिर मुकरूंगा कैसे
तब पास मेरे
नहीं होगी जीभ
जो बोल जाती है
हर बार
मन की बात
शब्द ही ब्रह्म है !
भ्रम ही शब्द है !!

मुझे पता है
शब्द नहीं
मैं ही जाऊंगा
शब्द तो
आते ही रहेंगे
फिर फिर से
काल में लिपट
नए अर्थ ले कर
उन शब्दों को
सलीके से पढ़ना
उन में
मैं जरूर होऊंगा
खुद को
अनंत करता हुआ !

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