सोमवार, जुलाई 16, 2012

बात

*सपना टल गया*
कल तुम आईं
नींद टल गई
सपना मचल गया
लो आज फिर
नींद उचट गई
आज फिर
सपना टल गया !

दिन को
दिन के लिए
रात को
रात के लिए
नींद को
नींद के लिए
छोड़ दो अब
बहुत खलल हो गया !

तुम अब
सपनों में आना
छोड़ दो
आ जाओ साक्षात
जमाना बदल गया ।
 बात
.
बात को
बात पर रख ।
हाथ को
हाथ पर रख ।।

ताक़त को
ताक पर रख ।
इज्जत को
नाक पर रख ।।
 

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