मंगलवार, सितंबर 25, 2012

प्रेम एक सफर है


एक लड़के से
एक लड़की मिली
दोनों में क्या बात हुई
इस पर
बातें घड़ी गई

बातें बनाई गई

बातें उड़ाई गई


बातें बिगाड़ी गई
बातें बिगड़ीं तो
बातें चलाई गई
बातें चल गईं तो
बात बिठाई गई
बात बैठ गई तो
बात बन गई
बात बन गई तो
बात जमीं नहीं
बात जमी नहीं तो
बात समझाई गई
बात मगर थमी नहीं
युग बीत गए
बात किस्सा बन गई
किस्से चल निकले तो
प्रेम कहानी कहलाए
फिर तो वही प्रेम
उदाहरण बन गया
मंदिर-मज़ार भी बने
किस्से सुनाए जाने लगे
कहानी पढ़ी जाने लगी
उदाहरण दिए जाने लगे
शीश नवाए जाने लगे
चादरें चढ़ने लगीं
मेले सजने लगे
प्रेम पर मगर
पाबंदी यथावत रही ।

आज भी

प्रेम उचकता है
कान उठते हैं
जुबान चलती है
बातें निकलती हैं
प्रेम मगर थमता नहीं ।
प्रेम एक सफर है
बातों पर ही
हो कर सवार
शायद आया है प्रेम
इस सदी तक !

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