मंगलवार, सितंबर 25, 2012

हैप्पी बर्थ डे कान्हां

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जब हुई धर्म की हानि
तब जन्में थे कान्हां तुम
कर धर्म की पुनर्स्थापना
हुए रवाना कान्हां तुम
अब फिर हालात वही हैं
आज ना धर्म बचा है
ना कर्म-शर्म शेष है

मानव तो बस सचमुच
जीवन का अवशेष है ।

देखो तो कैसे

मानव को मानव
लूट-मार रहा है
आओ तो कान्हां
अब आ जाओ
कण-कण तुम्हें
पुकार रहा है ।

इस बार बच कर आना

पग-पग पर
गप्प-गपोड़ी राधाओं की
भरमार मिलेंगी
कंस-शकुनि
जरासंध-दुर्योधन से
कहीं चतुर चालाक
सत्ता लोभी जनविरोधी
बाहूबली तैयार मिलेंगे !

इस बार कान्हां

बांसुरी मत लाना
तुम्हें नहीं मिलेगा वक्त
कि बजा सको
चैन की बांसुरी
सुनने वाली ना होगी
गोप-गोपियां
वो सेकेंगे रोटियां
तुम्हारी प्रिय गाय
गऊशाला या सड़क पर
मिलेगी
दूध-मक्खण डेयरी में है
तुम चख भी ना पाओगे
ऐसे में बांसुरी कैसे बजाओगे ?

धनुष-तीर-सुदर्शन

मत लाना इस बार
वरना ओलम्पिक में
भेज दिए जाओगे
लाओ तो कोई विचित्र
हथियार ही लाना
जो दिखे नहीं
पर चल जाए
वरना आर्मस एक्ट में
धर लिए जाओगे
फिर तो कान्हा कोर्ट में
लड़-लड़ सड़ जाओगे !

तुम्हारा पिछला जन्म

आज खाने-पीने के लिए
सेलिब्रिटे कर रहे हैं
देखो कितनी धूम मची है
तुम झांकियों में सजे हो
ताका-झांकियों में देखो
कितने युवा लगे हैं
खैर ! छोड़ो !
आओ जैसे आ जाना
मैं जादा बोला तो
तुम्हे बुलाने के जुर्म में
धर लिया जाऊंगा
उम्र भर छूट न पाऊंगा
सो फिलहाल तो
हैप्पी बर्थ डे कान्हा !

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