बुधवार, अक्तूबर 24, 2012

राजस्थानी कविता का अनुवाद

* प्रीत *
न तुम ने की
न मैँने की
फिर भी
हुई प्रीत!
प्रीत न जन्मी
न पली
वह तो थी
शाश्वत
हम तुम
महज माध्यम बने
जिन मेँ
उतरी प्रीत !

1 टिप्पणी: