शुक्रवार, जून 21, 2013

[0] आओ सुन लें याद[0]

आओ 
उन्हें जरूर याद करें
जो हमें भूल गए हैं ।

उनकी हंसी को याद कर
हंसें मन भर
उनका उठना-बैठना 
याद कर दोहरा लें
दिन भर ।

उनके सच में से
घटा कर झूठ
पकड़ लें कबूतर
उनके भीतर से
फिर उडाएं
दिन भर ।

उनके वादों को भी
अब याद कर ही लें
सुनाई देगी चटख
आओ सुन हीं लें
टूटन का संगीत
बन ठन कर ।

उनका चेहरा
याद क्या करें
जाता ही नहीं दूर
आओ डालें
समय की चादर
कबीर हाथों
बुन कर ।

यादों का वादा
रखें आओ सम्भाल कर
डाल देंगे
ये लबादा
अपने तन उतार कर
उनके तन पर ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें