शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014

*ईश्वर से कुछ सवाल*

हे ईश्वर !
तूं सर्वशक्तिमान है
इसका तुझे
कितना अभिमान है
आरती-भजन
कीरतन-जागरण
स्तोत्र-मंत्र-पूजा-पाठ
सोने-चांदी के छत्र
हीरे-मोती के मुकुट
चढावा-प्रशाद के बिना
होता नहीं मेहरबान
चाहे कितना ही
टूट जाए इन से
तुम्हारा कद्रदान !
*
हे ईश्वर !
बड़े-बड़े मंदिरों में
क्यों लगता है
तुम्हारा मन
कीमती धातुओं-पाषाणों में
क्यों करता है प्रवेश
निराकार है यदि तूं
तो क्यों चाहिए तुम्हें
इतने सारै
भौतिक आकार ?
*

हे ईश्वर !
सदियों से तुझे
धोकते मानवी
बुढ़ाए और चले गए
तुम मगर कभी
हुए नहीं कभी बूढ़े
आज भी जवान पड़ी हैं
तुम्हारी तस्वीरें
आओ हो जाए
एक फोटो सेशन
तुम्हारा बुढ़ाया चेहरा
सामने तो आए !
*
हे ईश्वर !
कहां जरूरी है
बुराई को पैदा करना
फिर उसे मारना
असत्य को रचना
फिर उसे पराजित कर
सत्य की स्थापना करना ?
इन समस्त
मानवी कर्मों का
जब तूं ही है कर्ता
तो क्यों करवाता है
उल्टे काम
सीधे ही करवा
बन्द क्यों नहीं करता
व्यर्थ की उधेड़-बुन !

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